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आज़ादी के पहले से ही हर वर्ष होली पर अनूठी मिसाल पेश करता है बलिया का ये गांव



सिकन्दरपुर(बलिया) 22 मार्च।होली के अवसर पर आज़ादी के पहले से चली आ रही  गंगा जमुनी परम्परा यदि आज भी  कही  कायम है तो  वह है क्षेत्र का ग्राम सिवानकला ।यहां के प्रत्येक जाति  व धर्म के लोग होली की संध्या पर मिलजुल कर  डोला निकाल  कर पूरे गांव का भ्रमण कर  अनूठी मिसाल पेश कर इलाके के लोगों को भी ऐसा करने के लिए सन्देश देते  हैं।इस की शुरुआत गांव के तत्कालीन प्रधान जयगोविंद प्रसाद गुप्त  ने किया था।उनके निधन के बाद यह परंपरा एक दो वर्ष लोग नहीं निभा पाए।।जिसे 1982 में शुरू कर तबके प्रधान स्व. अजीजुद्दीन ने परम्परा को आगे बढ़ाया।उनके निधन के बाद उनके पुत्र तारिक अजीज अब इस काम को कर रहे हैं।

हिन्दू मुस्लिम मिलकर मनाते हैं त्योहार

 हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक सिवान कला मे रंगो का त्योहार होली देश व समाज को एक संदेश देता है। इस गांव मे होली की संध्या पर ग्राम वासियों द्वारा एक टोली निकाली जाती है । जिसमें लोग आगे आगे डोला लेकर चलते हैं पूर्व में जहां ये डोला गांव के कदम चौराहा से निकाला जाता था।वहीं अब यह स्व. अजीजुद्दीन के दरवाजे के समीप जाकर सभा के रूप में सम्पन्न होता है। जिसके पीछे-पीछे गांव के बुढे,बच्चे,नौजवान झूमते गाते हुए पुरे गांव का चक्कर लगाते हैं। तथा रास्ते में जगह जगह लोगों द्वरा चाय व जलपान भी टोलियों को रोक कर कराया जाता है।
इस वर्ष ग्रामीणों द्वारा त्योहार को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने के लिए व्यवस्था में लगे प्रशाशनिक लोगों का भी सम्मान किया गया।

अंत में सभी लोग पूर्व मंत्री मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी  के पैतृक अवास के पास छोटे चौक पर डोल को रखकर एक सभा करके  समाप्ति करते हैं।
समाप्ति के पूर्व की गई सभा में गांव के लोग अपनें-अपनें विचार व्यक्त करते हैं ।

अपने पिता के द्वारा बनाए गए इस परम्परा से मैं अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूँ- तारिक अज़ीज़

इस दौरान स्व अजीजुद्दीन के पुत्र समाज सेवी तारिक अज़ीज़ ,नें कहा कि अपनें पिता के द्वारा बनाई गई इस परम्परा  को सीजीवित रख कर मैं आज अपनें आप को बहुत ही गौरवान्वित महसूस करता हूँ।मुझे गर्व है कि मेरे पिता द्वारा शुरू की गई ये परम्परा आज भी पूरे गांव को एक शुत्र में बांधे हुए है।
गंगा जमुनी तहजीब का ऐसा अनुठा मिसाल देश  मे कहीं देखने को नही मिलेगा। इस अनूठे परमरा को कायम करने के लिए मै अपने गांव के बुजुर्गो व पूर्वजों को धन्यवाद करता हूँ।
उनके द्वारा कायम परंपरा को जीवित रखने के लिए अपने ग्राम वासियों को तहे दिल से सलाम पेश करता हूं और  मेरी कामना है कि ये परम्परा हमेशा कायम रहे।
समस्त ग्रामवासियों को होली का त्योहार सकुशल सम्पन्न कराने पर मुबारकबाद देता हूँ।

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