सिकन्दरपुर, बलिया। 3 मार्च।महाशिवरात्री हिंदुओ का महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व को भगवान शिव को मानने वाले लोग हर्षो उल्लास के साथ मनाते हैं। इस महापर्व के पूर्व संध्या पर बाबा अदभुतनाथ किला पोखरा के महंत व प्रबंधक मनोज कुमार मोदनवाल ने कहा कि भगवान शिव ही पूरे ब्रह्मंड के पालनहार व कर्ता धर्ता हैं पूरी सृष्टि उन्हीं के इशारे पर चलती है। जिनके प्रसन्न होने से समस्त समस्याओं का निदान स्वयं ही हो जाता है और मानवजाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। इस मौके पर शिव भक्त व्रत भी रखते हैं जिससे कि भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उन्हें उनकी इच्छानुसार फल दे सकें। शिव रात्रि का पर्व दुनियाभर में भगवान शिव और माता पार्वती की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। ज्यादातर यह त्योहार हमेशा फरवरी से मार्च महीने में पड़ता है। शिव रात्रि पर भक्त पूरी रात जागते हैं और शिव मंदिर या ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं। वैसे तो सभी हिंदू त्योहार अधिकतर दिन में मनाए जाते हैं परन्तु शिवरात्री ऐसा त्योहार है जिसे रात में मनाया जाता है। इस में पूरी रात जागरण और प्रार्थना की जाती है।भगवान शिव को दूध, फल-फूल, भांग, धतूरा और मिठाई का भोग लगाया जाता है। कुछ भक्त पूरे दिन का उपवास रखते हैं तो कुछ तांत्रिक साधना भी करते हैं। पूरे शिव मंदिर में भक्त ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए दिखाई पड़ते हैं। पूजा करने की विधि। शिवरात्री के समय भगवान शिव का पूजन करने के लिए साफ आसन पर ही बैठें। पूजा की सभी वस्तुओं को सही स्थान पर रखकर इसके बाद स्वस्ति पाठ करें।ततपश्चात भगवान भोलेनाथ व मां पार्वती को याद करते हुए संकल्प लेकर पूजा करें। पूजा के बाद हाथ में बेलपत्र और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद शिवलिंग को दही, घी, शहद और चीनी से स्नान कराएं। फिस सुगंध स्नान के लिए इत्र का प्रयोग करें। आखिर में शुद्ध स्नान (पानी) करें। अब शिवलिंग को साफ कपड़े से पोंछकर वस्त्र चढ़ाएं। फिर जनेऊ चढ़ाएं। इसके बाद इत्र, अक्षत, फूलमाला और बेलपत्र अर्पित करें। भगवान को अब साफ फल चढ़ाएं। इन सबके बाद आरती करें। आखिर में क्षमा याचना करते हुए भोलेनाथ से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए माफी मांगे।
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