सिकन्दरपुर ,बलिया।29 मार्च। नगर के मोहल्ला डोमनपुरा स्थित दारुल उलूम सरकारे आसी के प्रांगण में आयोजित 30 वें अनवारे आसी कांफ्रेंस व जश्ने दस्तारबंदी (दीक्षांत)समारोह का आयोजन किया गया।जिसके मुख्य अतिथि मौलाना गुलाम रसूल बलियावी सांसद राज्य सभा थे। कार्यक्रम में श्रोताओं की काफी भीड़ रही। जश्न दस्तारबंदी में जहां मदरसा के 38 छात्रों को मौलाना गुलाम रसूल ने दस्तार से नवाजा ।जिनमें हाफिजे क़ुरआन के 18 और कारी के 20 छात्र थे।वहीं ओलेमा ने अपने तक़रीर में दीन और इस्लाम के बारे में विस्तार से चर्चा किया।साथ ही इस्लाम के असूलों पर चलने की मुसलमानों को नेक सलाह दिया।इस दौरान नातखां ने एक से बढ़ कर एक अपने अपने नातिया कलाम पेश कर सामईन को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान भीड़ द्वारा रह रह कर बुलन्द किये जा रहे इस्लामी नारों से पंडाल गूंजता रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत शाम 6 बजे तेलावते क़ुरआन पाक के साथ हुआ। उसके बाद सुल्तान चिश्ती कलकत्ता , जिशान अहमद झारखण्ड और भी दूर-दूर से आए दीगर नातखां ने अपने कलाम पेश कर के भीड़ में शामिल लोगों का दिल जीत लिया।
इस दौरान दौरान सैय्यद शबाहत हुसैन मुरादाबादी ने इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए तकरीर(भाषण) किया। उन्होंने जलसे में मौजूद मां बहनों से अपील किया के अनाज की इज्जत करें उन्होंने हजरत मोहम्मद साहब के जमाने में हुई घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा की उनके जमाने में वह और उनके सहाबा कई कई दिनों तक फांके (भूखे) किया करते थे। कितनी तकलीफों से लोगों को एक वक्त का खाना नसीब होता था।
परंतु आज के परिवेश में लोग खाना खाने से ज्यादा नुकसान करते हैं उन्होंने मा बहनों को खासतौर से हिदायत दिया की बचे हुए खाने को नालियों और जमीन पर न फेंके । बल्कि उस बचे खाने को अपने छतों पर डाल दें क्योंकि पता नहीं कब कोई भूखा प्यासा परिंदा छत के ऊपर से गुजरे और उसकी नजर उसपर पड़े ।और वह उस खाने से अपनी भूख को मिटा सके ।यह बहुत ही सवाब का काम है ।कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब खाना खाते समय गिरे हुए अनाज को चुनकर खा लिया करते थे। इसलिए अनाज की इज्जत करो क्योंकि आप उस जगह के बारे में सोचिए जहां पर कुदरत का कहर ऐसा गिरा कि लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए।
खासतौर से सीरिया देश का हवाला देते हुए कहा कि सीरिया में दूसरे मुल्कों से किए गए हमले में वहां का अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई तथा लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। जहाजों पर औरतें बच्चियां महिलाएं दुनिया के इस देश से उस उद्देश्य तक समंदर में भटकते रहे। तथा जिस देश के बॉर्डर पर उनकी जहाज जाती वहां दूर से ही इशारों में लोगों से खाना मांगते थे फिर भी उन्हें खाना नसीब नहीं होता था। मजबूरन भूख से तड़प कर कितनी ही महिलाओं ने अपने दूध पीते बच्चों को समंदर में फेंक दिया। कहा की हम बहुत खुश नसीब हैं की हमें दो वक्त का खाना नसीब होता है। इसलिए मेरी माताओं बहनों खाने को नुकसान ना करें उसकी इज्जत करें क्योंकि बचा हुआ खाना किसी और का भी पेट भर सकता है।
इनसेट ---------- मौलाना गुलाम रसूल बलियावी सांसद राज्य सभा- मौलाना गुलाम रसूल बलियावी व सैय्यद शबाहत हुसैन मुरादाबादी ने संयुक्त रूप से सर्वप्रथम मदरसे के 38 तलबाओं को दस्तार बांधा तथा सभी तलबाओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना किया । मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने अपने तकरीर में लोगों से कहा कि हमें देश व कानून की इज़्ज़त करनीं चाहिए तथा इंसान के लिए देश व कानून पहले है।अगर कानून की इज्जत करेंगे तभी न्याय व्यवस्था सुदृढ रहेगी।इस लिए सभी समाज के लोगों को कानून की इज्जत करनी चाहिए।जब कानून व्यवस्था सही रहेगा तभी देश भी सही रहेगा।
इस दीक्षांत समारोह में दूर दूर से हजारों की संख्या में आम लोग पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद रहा। इस अवसर पर , इकबाल अहमद हिंदी मैनेजर दारुल उलूम सरकारे आसी,शेख अहमद अली उर्फ संजय भाई, डॉक्टर नदीम इकबाल हिंदी,खुर्शीद आलम ,फ़ैज़ी अंसारी,भीष्म यादव,मौलाना जाकिर हुसैन लतीफी, हाजी मो अयूब ,हाजी अली अहमद वाहिदी,हाजी मास्टर वसी शेख,मौलाना नूरी,हाफिज कलीम, कारी फिरोज, मौलाना खुर्शीद बबलू मास्टर,इमाम अख्तर,मौलाना हमीदुल कादरी,आदि प्रमुख लोग मौजूद रहे। अध्यक्षता मौलाना सज्जाद अहमद रशीदी और संचालन आसिफ रजा सैफी ने किया।
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