शहादत पर सिर्फ निंदा करने से मां भारती शर्मींदा है, चीख-चीख कर पूछ रही दरिंदें अब तक कैसे जिंदा है। फिर इक बार दोगलों ने अपनी औकात दिखा दी है, नामर्दों सा वार कर सुअरों ने अपनी जात दिखा दी है। दहशतगर्द दरिंदों की लाशों से घाटी को पटवा दो, पड़े जरूरत बकरों जैसे इन कायरों को कटवा दो। सिद्धू पिद्दू कोई भी हो पाक प्यार जो दिखलाएगा, सीधा सुनो देश के नेता वो सिर्फ गद्दार कहलाएगा। प्रधानसेवक जी आर पार की आखिरी जंग करवा दो, पाक के छाती पर चढ़कर ये भारतीय मृदंग बजवा दो। कह रहे थे हर दम छप्पन इंच का छाती तुम्हारा है, सवा अरब भारतीयों को अब बस आश तुम्हारा है। हुए बहुत समझौते अब बस अपनी शक्ति दिखला दो। दिखे जहां पर वहीं खोदकर अब जिंदा इन्हें दफना दो। पलने वाले हमारे टैक्सों पर बनने लगे है अत्याचारी, इनके हुर्रों से मिलवाने की अंतिम बार करो तैयारी। देशवासी चाह रहे अब ना गले मिल चुम्मा चाटी हो, रणबांकुरों की गर्जन से कंपित काश्मीर घाटी हो। मारो ऐसे कि देश के अंदर ना कोई आतंकी बाक़ी हो, अब ना कोई दावत ना जाम पिलाने वाली साकी हो। सारे आतंकी आकाओं को कटवा कुत्ते भोज करा दो, मोदी जी पाक के एक-एक पापी को जमींदोज करा दो। संजय सिंह राजपूत बागी बलिया उत्तरप्रदेश
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