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रक्त का कर्ज़ ,14 फरवरी 2019- प्रणव मणि त्रिपाठी की कलम से


मुझे इस ख़बर ने कल रात से ही बेचैन कर दिया है , समझ में नही आ रहा कि किस शब्दों में बयां करूँ। 

माँ भारती की हिफाज़त और हम सब की मुस्कुराहट के लिए हमारे करीब 42 जवान कुर्बान हो गए। हम सबसे उनका कोई खून का रिश्ता नही है फिर भी हमारी सलामती के लिए अपना खून पानी की तरह बहा दिए। अगर इस घटना के बाद भी किसी को आराम से नींद आ रही है , तो मैं स्तब्ध हूँ। हम सब कभी उनके ऋण से ऋणमुक्त नही हो सकते जो अपने परिवार, माँ-पिता, पत्नी , बच्चों सबको रोता-बिलखता छोड़ गए ताकि हिंदुस्तान पर आंच न आने पाए। सियासत और समझदारी हमें नही मालूम ,हम सबको हिसाब चाहिए उन वीरों के खून और उनके परिवार के एक-एक आँशू का। इस कुर्बानी का बदला लेने के लिए पूरे हिंदुस्तान को बार्डर पर जाना पड़े तो हम सब तैयार हैं क्योकि "जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज़ आती नहीं, हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करें वो जवानी जो खूं से नहाती नही"। चाहे कुछ भी कर लो चाहे अब कुछ भी नुकसान हो ये कुर्बानी जाया नही जानी चाहिए। मैं अपनी सोसाइटी के अध्यक्ष सहित पूरी सोसाइटी की तरफ से उन महान वीरों के कदमों में सर झुका कर उन सभी अपने जवानों को प्रणाम करता हूँ ,जिनके रक्त का कर्ज़ हम सब पर है ।


             ✍️प्रणव मणि त्रिपाठी"अटल
             महावीर धाम सोसाइटी रसड़ा







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