सिकन्दरपुर/बलिया-आज भारतीय दो अलग अलग विचार धाराओ द्वारा शासित हो रहे है।उनके राजनितिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में शामिल है वो स्वतंत्रता,समानता,और भाई चारे को स्थापित करते है।जिस तरह पानी की तेज धरा हाथ को घायल कर सकती है,उसी तरह से धर्म या जाति के असल मायने पहचानने में हुई गलती इंसान के साथ साथ किसी धर्म या मजहब को ठेस पंहुचा सकती है।
किसी भी इंसान को दूसरे धर्म की निंदा करना गलत बात है।हर धर्म अपने जगह पे सही है और उसके मानने वाले भी।सामाजिक इंसान या शिक्षित व्यक्ति वह है जो दूसरे मजहब या धर्म की भी हर उस बात का आदर व सम्मान करता हो जो सम्मान के लायक हो।चाहे महान वैज्ञानिक डॉक्टर ए.पी.जे.अब्दुल क़लाम हो या तुलसी दास हो या फिर स्वामी विवेकानंद सबकी सोच इस समाज के प्रति यही रही की किसी भी जाती ,धर्म या मज़हब को बनाये रखने और बढ़ाने के लिये दूसरे को मारना गलत है।चाहे किसी भी धर्म के अनुयाई हो किसी भी धर्म को गलत नहीं कहा।बस इन सब बातो को समझते हुये हमे एक दूसरे के साथ भाई चारे की तरह वयवहार करना चाहिये।और एक दूसरे के मज़हब का सम्मान करना चाहिये।
मोo.अबुल हस्नात
(युवा समाज सेवी)
ग्राम+पोस्ट-जमुई,जनपद-बलिया(यू.पी.)
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