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ईदुल अज़हा का त्योहार अमन सांती से मनाएं तथा आपसी भाईचारे का मिशाल पेश करें-ईoजुलफेकार अहमद






सिकन्दरपुर/(बलिया)-कुर्बानी के त्यौहार ईद उल अज़हा (बकरीद) के उत्सव के लिए पूरा देश जोर शोर से तैयार है,त्याग और बलिदान का यह त्यौहार कई मायने में ख़ास है, यह एक विशेष संदेश देता है इस दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है लेकिन इस के पीछे मकसद यह समझने की होती है कि हर इंसान अपने जान माल को अल्लाह की अमानत समझें और इस की रक्षा के लिए किसी भी त्याग और बलिदान के लिए तैयार रहे, इसलिए इस दिन हर वे मुसलमान जो एक या अधिक जानवर खरीदने की हैसियत रखता है वे जानवर खरीदता है और अल्लाह की राह में कुर्बान करता है.
इस का गोश्त तीन बराबर हिस्से में बांटा जाता है, एक हिस्सा गरीबों के लिए, दूसरा हिस्सा रिस्तेदारो व अपने दोस्तों के लिए, व तीसरा हिस्सा ख़ुद अपने लिए होता है, जिस तरह से ईद के दिन गरीबों को ईदी दी जाती है ठीक उसी तरह से बकरीद पर गरीबो को गोश्त बांटे जाते हैं,
मेरी समस्त नगर वासियो से अपील है की ईदुल अज़हा का त्योहार अमन सांती से मनाएं तथा आपसी भाईचारे का मिशाल पेश करें आपकी वजह से किसी अपनें गैर भाई को तकलीफ न पहुंचे इसका विशेष ध्यान रखें ।

ई0 जुलफ़ेकार अहमद
पूर्व-सभासद प्रत्यासी
     (सिकन्दरपुर)









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