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परम धाम मंदिर जो एक साधक के साधना एवं गहन चिंतन का परिणाम है

                       ( परम धाम मन्दिर)


सिकन्दरपुर/बलिया-संपूर्ण विश्व में प्रथम बार स्थापित परम धाम मन्दिर जो अत्यन्त ग्रामीण क्षेत्र में रहने के बाद भी अपनी अलौकिक एवं अद्वितीय छटा को निरन्तर बिखेर रहा है।
 अधिपत्ति एवं अध्दैत शिव शक्ति सम्प्रदाय  स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी (मोनी बाबा) जिन्होंने 12 वर्ष मौन होकर मौन साधना  किया था।
 दत्तात्रेय जन्मोत्सव का आयोजन परमधाम परिषद में बिहार में 14 मई को आयोजित किया गया है उक्त जानकारी देते हुए हरि ब्रह्मचारी ने बताया कि  भारतवर्ष को विभिन्न देवी देवताओं के मंदिरों का मंदिर कहा जाना अतिशयोक्ति नहीं होगा ।

किन्तु  परम धाम मंदिर एक साधक की साधना एवं गहन चिंतन का परिणाम है जो सबसे अद्वितीय है।
 परम धाम  मन्दिर में 14 मूर्तियो की अस्थाप सन 1998 में की गई।

जिसमे शक्ति सहित  परब्रम्ह सच्चिदानन्द अक्षर ब्रम्ह योग माया सदाशिव योग शक्ति महाविष्णु महालक्ष्मी रूद्र गौरी ब्रम्हा सरस्वती शामिल हैं। इसके अतिरिक्त श्री मौनिश्वर महादेव का भव्य शिव लिंग गणेश दुर्गा नन्दी तथा परम धाम के पार्श्व भाग में शिवान्तर श्री वनखण्डी नाथ जी अमोनिज श्री हैडाखान जी श्री महेन्द्र मुनि जी एवं श्री जंगली बाबा की दिव्य विग्रहों की स्थापना किया गया है ।
परमधाम मन्दिर में जीव सृष्टि ईश्वरीय सृष्टि एवं ब्रम्ह सृष्टि की झांकी समझनें एवं चिंतन के योग्य हैं ।
यहाँ हद भूमि बेहद भूमि एवं अखण्ड भूमि की दिव्य झांकी भी विद्वानों के चिन्तन का विषय है ।
शास्त्र सम्वत है कि बिना गुरु के ज्ञान पाना असम्भव है ।
जिसके परिणाम स्वरूप हम इस लौकिक संसार में " गुरु व्याप्त सर्वत्र समान"की पुष्टि कर पाते हैं । इस क्रम में इस मन्दिर में वैदिक  अनुष्ठान ,यज्ञ हवन ,जप तप, योगादि के कार्यक्रम भी निरन्तर चलते रहते हैं।


अभिष्ट की प्राप्ती के। लिए भक्तों अस्विकों का निरन्तर आवागमन भी यहां बना रहता है । 550 वर्ष पूर्व स्थापित श्री बनखंडी नाथ मंदिर जिसका  निर्माण नेपाल नरेश ने करवाया था  का कुछ दिन पूर्व से कायाकलप भी श्री मौनी बाबा की अध्यक्षता में सुचारु रुप से चल रहा है।

रिपोर्ट-इमरान खान




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