Ticker

6/recent/ticker-posts

होम्योपैथिक चिकित्सा से हर रोगों का जड़ से ईलाज संभव- डा० आर० पी० आर्य



सिकन्दरपुर (बलिया) स्थानिय नगर के बालुपुर रोड स्थित डिवाईन होम्यो क्लीनिक एवं रिसर्च सेन्टर के संस्थापक व होम्योपैथिक पद्धति से बड़ी से बड़ी बीमारियों का सफल इलाज करने वाले डा० आर० पी० आर्य आज किसी पहचान के मोहताज नही है।

तरुणमित्र से एक खास मुलाकात में डा० आर्य ने एलर्जी से संबंधित कई पहलुओं पर खुलकर बात की और होम्योपैथिक पद्धति से इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का दावा भी किया।
उन्होंने बताया कि एलर्जी एक ऐसी बीमारी है,जिससे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र (इम्मून सिस्टम),किसी विशेष पदार्थ के प्रति 'अतिसंवेदनशील' हो जाता है, जैसे धूल, परागकण, कोई खाने की चीज इत्यादि।

एलर्जी के मुख्य लक्षण के बारे मे पुछने पर डॉ० आर्य ने बताया कि बार-बार छींक आना,नाक से पानी आना,बार-बार जुकाम होना,आँखो मे लालीपन, पानी आना,आँखों मे जलन एवं खुजली होना,साँस लेने मे तकलीफ,एलर्जिक अस्थमा जैसी स्थिती,स्कीन पर खुजली,जलन,लाल -लाल चकते आना,पित्ती उछलना,किसी खाने पीने की चीज से उल्टी दस्त,पेट मे दर्द हो जाना ये सब एलर्जी के मुख्य लक्षण हैं।

एलर्जी के मुख्य कारणों के बारे मे डा० आर्य ने बताया कि एलर्जी किसी पदार्थ जैसेे (धूल,धुंआ, मिट्टी, परागकण, पालतू या अन्य जानवरों के सम्पर्क से,सौंदर्य प्रसाधन, खाद्य पदार्थ, कीड़े आदि के काटने,अंग्रेजी दवाओं के प्रतिक्रिया स्वरूप आदि,मौसम एवं जलवायु में परिवर्तन से अथवा अनुवांशिक भी हो सकता है।

एलर्जी का होम्योपैथिक द्वारा चिकित्सा के बारे मे डा० आर्य ने बताया कि कुदरत ने व्यक्ति के शरीर में बाहरी तत्वों से लड़ने एवं तालमेल बनाकर चलने की अपार क्षमता प्रदान की है,परन्तु किसी विशेष व्यक्ति,वस्तु अथवा वातावरण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाने पर यह तालमेल विगड़ जाता हैं,फलस्वरूप एलर्जी जैसे लक्षण उत्पन्न होते है,जो व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर दिखाई देते है।

अतः होम्योपैथी के नियमानुसार व्यक्ति के मानसिक,शारीरिक एवं अन्य लक्षणों को ध्यान में रखकर दी गई दवा सर्वप्रथम इस अतिसंवेदनशीलता को सामान्य बनाने का काम करती हैं और हमारा प्रतिरोधी तंत्र सामान्य रूप से कार्य करने लगता है,इस प्रकार रोग के लक्षण धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं और इस रोग के साथ-साथ हमारे शरीर में उपस्थित अन्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है।

एलर्जी की पारंपरिक चिकित्सा के बारे मे डा० आर्य ने बताया कि अन्य चिकित्सा पद्धतियों (विशेष रूप से एलोपैथी) में सारा ध्यान उन वस्तुओं से बचने एवं उनकी जांच पर होता है,जिससे हमें एलर्जी होती है,इसके अलावा कुछ एंटीएलर्जिक एवं स्टेरॉयड दवाओं से रोग को दबाने की कोशिश की जाती हैं,जिसके फलस्वरूप बीमारी में तुरंत तो आराम मिल जाता है,जबकि हमारे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र एवं बीमारी और ज्यादा भयानक रूप धारण करते जाते है,और बीमारी लाईलाज बन जाती है या जिन्दगी भर दवाओं के सहारे रहना पड़ता है।

आगे कि वार्ता मे डा० आर्य ने कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्यों के बारें मे प्रकाश डाला जिससें इन बीमारियों मे जाने से बचा जा सकता हैं
1-साधारण ज्वर/बुखार में तुरन्त एंटीबायोटिक तथा अन्य दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए।
2-साधारण सर्दी जुकाम में भी किसी दवा के प्रयोग से बचना चाहिए।
3-बच्चों को जो चीजें पसन्द न हों,उन्हें जबर्दस्ती/बलपूर्वक खिलाने पिलाने से बचना चाहिए।
4-शरीर पर उभरने वाले छोटे-मोटे दानों पर तुरन्त मलहम/पावडर लगाकर उन्हें दबाने का प्रयत्न न करे।
5-होम्योपैथिक दवायें जैसे:-Allium C,Are,alb,Gels,Urtica U आदि दवाओं का प्रचलन है,लेकिन बिना योग्य चिकित्सक की सलाह के दवाओं का उपयोग न करने का सलाह दिया।



Post a Comment

0 Comments