Ticker

6/recent/ticker-posts

चंद्रशेखर जी एक प्रखर वक्ता लोकप्रिय राजनेता विद्वान लेखक और विभाग समीक्षक भी थे-सन्तोष श्रीवास्तव


सिकंदरपुर (बलिया) आज जननायक युवा तुर्क चंद्रशेखर जी की 91 वी जयंती एक विचार गोष्ठी का आयोजन चंद्र हंस चैरिटेबल ट्रस्ट के एकइल के तत्वाधान में किया गया। इस विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि राज्य व कल्याण परिषद के सदस्य संतोष श्रीवास्तव ने जननायक चंद्रशेखर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चंद्रशेखर जी एक प्रखर वक्ता लोकप्रिय राजनेता विद्वान लेखक और विभाग समीक्षक भी थे। जो अपने देश के प्रधानमंत्री के रूप में आठ  महीने से भी कम कार्यकाल में और इतने दिनों में ही उन्होंने नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता की ऐसी छाप छोड़ी जिसे आज भी हम याद करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मसलों और जनता के सवालों पर सरकारों का विरोध भी किया और आवश्यक सहयोग भी। इसी क्रम में दूसरे वक्ताओ ने बताया कि चंद्रशेखर जी केवल वंचितों और दलितों के कल्याण के लिय पैरवी की। उनकी विशेषता यह थी कि वह गंभीर मुद्दों पर सिंह के समान गर्जना करते हुए बोलते थे। उनकी वाणी में इतनी शक्ति थी कि जब वे संसद में बोलने लगते थे तो वहां पर सन्नाटा पसर जाता था। इसके साथ ही विपक्ष के नेता गतिरोध की स्थिति में उनसे परामर्श और मार्गदर्शन प्राप्त करते थे। उनकी धारणा समाज के प्रति थी। वह अपनी एक कविता के माध्यम से कहा करते थे कि- ना मंदिर में ना मस्जिद में ,ना गिरजे के आसपास में। ढूंढ ले कोई राम मिलेंगे, दीन जनों के भूख-प्यास में। इस तरह से इस विचार गोष्ठी को संजीव सिंह ,जवाहर सिंह, बृजेंद्र सिंह, मनोज पटेल, भीम गुप्ता सहित आदि वक्ताओं ने संबोधित किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विजेंद्र सिंह व संचालन चंद्र हंस चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नवीन कुमार सिंह ने किया।


Post a Comment

0 Comments