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अपनी विरासती धरोहरों को बचाकर ही शिक्षा का आधुनिकरण हो- ज्योति स्वरूप पाण्डेय




सिकंदरपुर (बलिया) स्थानीय क्षेत्र के बंशीबाजार स्थित ज्ञानकुंज ऐकेडमी के प्रेसिडेंट व प्रखर वक्ता ज्योति स्वरूप पाण्डेय ने शिक्षा पर आधारित एक विचार संगोष्ठी के दौरान तरुणमित्र से खास बातचीत में कई बिंदुओं पर विस्तार से बात की और प्रकाश डाला।



दिन प्रतिदिन हो रहे शिक्षा के आधुनिकीकरण पर उन्होंने कहा कि शिक्षा का आधुनिकीकरण होना शिक्षा के वर्तमान परिपेक्ष्य में आम जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से भी मान्य है जहां तक शिक्षा के आधुनिकरण हमसभी को अपनी वास्तविक जमीन से हटा देता है हमारी परंपराओं से विचलित कर देता है और अपने धरोहरों को साथ नहीं रखने देता है उस सीमा तक शिक्षा का आधुनिकीकरण मान्य नहीं है स्वीकार्य नहीं है।



शिक्षा का आधुनिकीकरण स्वीकार्य केवल इतने अर्थों में है कि वह हमको आधुनिक समाज में किस हद तक सामंजस्य बना सकने में सामर्थ्य हैं शिक्षा का आधुनिकरण हमें बस इतनी ही सीमा तक मान्य है,आगे उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव के सतत विकास की एक प्रक्रिया है शिक्षित मानव का ही सही दिशा में सही विकास हो सकता है उसकी योग्यताएं और ऊंची दिशा में जा सकती हैं जिससे वह अपने परिवार गांव समाज और देश के लिए भी सही दिशा में काम कर सकता है और सभी को एक नई दिशा देकर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर समाज में सभी को स्थापित कर सकता है।
आए दिन हर गांव और शहर में शिक्षा के नाम पर कुकुरमुत्तों की तरह शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं लोक लुभावने तमाम माध्यमों से प्रचार किया जा रहा है इस विषय पर ज्योति स्वरूप पाण्डेय ने प्रकाश डालते हुये कहा कि आज के समय में शिक्षा को लेकर काफी लोग बाजार गिरी कर रहे हैं जैसे बरसात के समय बहुत ज्यादा की संख्या में मेंढक निकल आते हैं ठीक उसी तरह नए परिपेक्ष्य में हमारे समाज में नए-नए शिक्षण संस्थानों का पैदा होना हो गया है,यह हमारे समाज को सड़ा गला कर उस पर कुकुरमुत्ते पैदा करने की राह में है जो हमारे समाज के लिए घातक है।



ज्ञानकुंज ऐकेडमी क्यों सबसे अलग है यहां के छात्र छात्राएं आए दिन नए नए कीर्तिमान स्थापित करते हैं ऐसी क्या बात है इस संस्थान में,इस सवाल का जवाब देते हुए ज्योति स्वरूप पाण्डेय ने कहा की बच्चों व अभिभावकों से लगातार संपर्क बनाए रखना हर गतिविधियों पर ठीक तरीके से काम करना,आज के आधुनिक दौर में हर बच्चा अपने संस्कार लिहाज से कोसों दूर भागता जा रहा है,हम संस्कारों को उनमें पैदा करने व बनाये रखने के लिए लगातार काम कर रहे हैं और जिस बच्चे ने अपने अंदर संस्कार को समाहित कर लिया वह निश्चित तौर पर नए नए कीर्तिमान स्थापित करेगा,ज्ञानकुंज ऐकेडमी इस दिशा में हमेशा प्रयासरत है।
आगे उन्होंने कहा कि ज्ञानकुंज ऐकेडमी भी शिक्षा में आधुनिकता के दिशा में काम कर रही है पर संस्कारों,तहजीबों,परंपराओं और मान्यताओं को सहेज कर बच्चों को आगे बढा़ने का काम कर रही है।


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