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वशिष्ठ प्रसाद बागी की पेशकस -वादा किया जो भुल गए।



वदा किया जो भूल गए अपने पराए हो गए
जिस माँ के तन से जन्म लिया वे बेगाने हो गए
अपनो का सम्मान मिला सब झूठलाने हो गए
वदा किया जो भूल गए अपने पराए हो गए ।।

दिल में उम्मीद जगी थी चेहरे पर मुस्कान भरी
अब सर्वसमाज की रक्षा होगा शपथ लिये रह गए।
रक्षक बनकर अब तो भक्षक भी बन गए।
वादा किया जो भुल गए अपने पराए हो गए ।।


क्या कर्म है क्या धर्म है चन्द लालच के खातिर
अपने मात्र भूमि की ममता को भूल गए।
कह रहेथे विकाश करेगें भेदभाव में जुट गए।
वादा किया जो भुल गए अपने पराए हो गए ।।


भुखे दुखे दलितों के लिए अब अच्छे दिन आगए।
जो मिल रही थी दो रोटी ओ भी उन से छिन गए।
दिल में जो सपने सजे थे ओ भी अब तो मिट गए।
वादा किया जो भुल गए अपने पराए हो गए ।

सब उम्मीद लगा कर बैठे थे अब अच्छे दिन आगए।
पेट भरने के लिए अन्न नही तो घर कहॉ से पागए।
लूटेरों की प्रतियोगिता में मोदी सबसे आगे होगए।
वादा किया जो भुल गए अपने पराए हो गए ।।



वशिष्ठ प्रसाद बागी जी।।
9616419839
सिकन्दरपुर ।बलिया।

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