सिकन्दरपुर/बलिया-स्वर्गीय चंद्रशेखर जी की 92 वीं जयंती के शुभ अवसर पर सिकन्दरपुर डाक बंगले पर एक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री राजधानी ने बताया कि लोकतंत्र को शुद्ध एवं कायम रखने के लिए विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है जब जब देश के सामने राजनीतिक संकट आया चंद्रशेखर जी ने मुखर होकर निर्भिकता के साथ आवाज बुलंद किया आपातकाल के पूर्व श्रीमती इंदिरा गांधी को जयप्रकाश जी के साथ उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने स्वर्ण मंदिर में सेना के भेजे जाने एवं बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों को गिराए जाने पर अपना विरोध दर्ज कराने आदि अनेकों उदाहरण उनके राजनीतिक जीवन में रहे हैं सत्ता के प्रलोभन एवं दबाव में उन्होंने कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया यही कारण है कि मामूली बात पर प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना मंजूर किया परंतु कांग्रेस के सामने समर्पण करना नहीं स्वीकार किया ।
आज के युग में आदर्श कार्यक्रम एवं मुद्दे की राजनीति की जगह सत्ता के लिए विचारक हीन समझौता सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तथा जातीय समीकरण प्रभावी है राजनीति का मुख्य मकसद येन केन सत्ता हासिल करना रह गया है ।
मंत्री राय धरीने युवा पीढ़ी से गांधी लोहिया जयप्रकाश पंडित दीनदयाल एवं चंद्रशेखर के विचारों से प्रेरणा लेने की अपील की गोष्ठी को प्रमुख रूप से सुरेश सिंह ,सुदामा राय ,शशिधर राय, ओम प्रकाश, गिरिजेश मिश्र, दयाशंकर राम, महेंद्र गुप्त,राकेश गुप्ता ,मारकंडे शर्मा,
बैजनाथ पांडे ,योगेंद्र यादव ,राजनाथ चौहान ,अजय लाल आदि ने संबोधित किया ।
गोष्ठी की अध्यक्षता अरविंद कुमार राय ने राय ने की तथा संचालन भोला सिंह ने की ।
रिपोर्ट-इमरान खान
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