मानवता के लिए मरें,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
सबके सुख-दुख बाट सके,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
सच्चाई को समझे एवं,
दुख से मुँह ना मोड़े हम।
साथी सबको मान सके,
तो ही मनुष्य कहलाएंगे।
झुठी है ये माया सारी,
जान सको तो जान ही लो।
छोटा-बड़ा अमीर-गरीब,
सच ये तो कुछ होता ही नहीं।
ये बात गर जान गए,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
आखिर क्या ऐसे ही रहेगा,
कुछ चले गये कुछ जाऐंगे।
जाते जाते छोड़ गये,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
स्वार्थ जगत की रीति यही है,
सबको सब से आशाएँ है।
आशाओं के पार चले,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
जो भी हम तुम देख रहे हैं,
सबके सब की नश्वर है।
जाकर भी यदि याद रहे,
तो ही मनुष्य कहलाऐंगे।
भोला सिंह
8801344790
सिकंदरपुर
(बलिया उ०प्र०)
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