सियासत के गलियारों में,
सब खेल खिलाया जाता है।
स्याह को सफेद और
सफेद को स्याह बनाया जाता है।
सियासत के गलियारों में,
यह खेल खिलाया जाता है।
अपनों को ऊपर उठाने के लिए,
विपक्ष को नीचा दिखाया जाता है।
सफेद अंबर पहनकर जी,
भरपूर खिचड़ी पकाया जाता है।
सियासत के गलियारों में,
यह खेल खिलाया जाता है।
वोट के लिए ही बस साहब
साफ सुथरी छवि दिखाया जाता है।
तरह-तरह के झांसा देकर,
अपने में मिलाया जाता है।
सियासत के गलियारों में,
यह खेल खिलाया जाता है।
राजगद्दी पाने के लिए,
हर हथकंडा अपनाया जाता है।
जीत का परचम लहराने के लिए,
भ्रष्टाचारियों को भी मिलाया जाता है।
सियासत के गलियारों में,
यह खेल खिलाया जाता है।
सिंहासन पर बैठकर फिर
जाति धर्म में लगाया जाता है।
अपने वर्चस्व की लालच में,
मानवता को भी मिटाया जाता है।
सियासत के गलियारों में,
सब खेल खिलाया जाता है।
भोला सिंह
सिकंदरपुर (बलिया)
880134790
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