कोई भारत कहता है, कोई हिंदुस्तां कहता है,
कोई गरीब समझता है, कोई महान कहता है,
यही वो देश है जहाँ हर धर्म एक साथ रहता है,
मेरे इस देश का हिफाज़त खुद हिमालय करता है,
यहाँ आशियाना भी मिल जाए, परायो के मकानों में,
यहां बस प्यार बिकता है, सबके दिलों की दुकानों में।
मुझको फक्र है कि मैं ऐसे हिन्दुस्तान में रहता हूं,
जहा श्री कृष्ण बसते थे , ग्वालो के ठिकानो में।
हम चर्च में कभी आशा की मोमबत्ती जलाते है,
कभी गुरूद्वारे की दहलीज पर माथा टेक आते है।
हर ईद की सेवइयां यहां हम हिंदू भी खाते है,
यहां होली के रंगो में सब धर्म गुलाबी भी हो जाते है।
मै भारत देश का वासी हूं, और मैं यह गर्व से कहता हूं,
मै इस देश की हरियाली, फूलों की कलियों में रहता हूं।
बहुत हो गया ज़ुबा बंद करलो हमारा धर्म पूछने वालों,
मै अल्लाह का बन्दा हूँ, श्रीराम की गलियों में रहता हूं।
किसी को हीर प्यारी है,किसी को रांझा प्यारा है,
इंसानियत की नजरों से तो सारा संसार प्यारा है,
पूरी दुनिया की मुहब्बत को तुम मेरे सामने रखदो,
फिर भी मैं कहूंगा बस मेरा हिंदुस्तान प्यारा है।
यहाँ की मिट्टी भी प्यारी है,और आसमा भी प्यारा है,
हम बुलबुले है इसके,ये गुलसिता हमारा है,
कहने को तो तीन रंगों का धागा है मगर,
वो तिरंगा तो मुझे मेरी जान से प्यारा है.
नीरज सिंह राजपूत
ग्राम - ज़ीराबस्ती
सुखपुरा
(बलिया).उत्तर प्रदेश
संपर्क शुत्र - 9993141067
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